वर्ल्ड थैलेसीमिया डे के अवसर पर ऑनलाइन वर्चुअल जन जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन

Health and motivation

  • हिन्द चक्र

पटना 8 मई 2021:: बिहार थैलेसीमिया पेरेंट्स एसोसिएशन के तत्वाधान में विश्व थैलेसीमिया जागरूकता दिवस के अवसर पर आज दिनांक 8 मई 2021 को दोपहर 12 बजे से गूगल मीट प्लेटफॉर्म के माध्‍यम से ऑनलाइन थैलेसीमिया जन जागरूकता वेबिनार का आयोजन किया गया। आज के वेबिनार का मुख्‍य अतिथि डॉ० शिवाजी कुमार, राज्‍य आयुक्‍त नि:शक्‍तता (दिव्‍यांगजन) बिहार सरकार पटना थे। विशिष्ट अतिथि प्रसिद्द हेमेटोलॉजिस्ट डॉ. अविनाश सिंह, बी एस ए सी एस के एचडी डॉ एन. के. गुप्ता, डॉ. देवेन्द्र प्रसाद, डॉ. विनोद भांति, डॉ. मृत्युन्जय डॉ अश्विनी साथ ही प्रियंका मिश्रा (सचिव] बिहार थैलेसीमिया पेरेंट्स एसोसिएशन ), संदीप कुमार, संतोष कुमार सिन्‍हा, सुगन्‍ध नारायण प्रसाद, राहुल कुमार आदि ने लोगो को थैलेसीमिया के लक्षण, उसका प्रसार, बचाव एवं सुरक्षा पर जागृत किया ! आज के वेबिनार में 100 से अधिक लोग ऑनलाइन उपस्थित थे। एसोसिएशन में जुड़े हुए बच्चे भी मौजूद थे उन्होंने अपनी प्रॉब्लम को बताएं और उनका समाधान करने हेतु निवेदन किया उस बच्चे में राजकुमार संजय मन्नत कुमार अन्य लोग मौजूद थे आज के कार्यक्रम कराने का मुख्य उद्देश्य थैलेसीमिया के प्रति जागरूकता फैलाना है।

आज के ऑनलाइन वेबिनार में विशेषज्ञों द्वारा थैलेसीमिया से ग्रसित लोगों के लिए हर जिले में डे केयर की स्‍थापना, मुफ्त रक्‍त उपलब्‍धता एवं सभी का यू.डी.आइ.डी. कार्ड , थैलेसीमिया पहचान पत्र एवं सर्टिफिकेशन पर चर्चा की गई एवं सरकार द्वारा मांग की गई।

डॉ शिवाजी कुमार ने कहा की थैलेसीमिया एक ऐसा रोग है, जो आमतौर पर जन्म से ही बच्चे को अपनी गिरफ्त में ले लेता है। यह दो प्रकार का होता है। माइनर और मेजर। जिन बच्चों में माइनर थैलेसीमिया होता है, वे लगभग स्वस्थ जीवन जी लेते हैं। जबकि जिन बच्चों में मेजर थैलेसीमिया होता है उन्हें लगभग हर 21 दिन बाद या महीने भर के अंदर एक शीशी खून चढ़ाना पड़ता है। थैलेसीमिया रोग एक तरह का रक्त विकार है। इसमें बच्चे के शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं का उत्पादन सही तरीके से नहीं हो पाता है और इन कोशिकाओं की आयु भी बहुत कम हो जाती है।इस कारण इन बच्चों को हर 21 दिन बाद कम से कम एक यूनिट खून की जरूरत होती है। जो इन्हें चढ़ाया जाता है। लेकिन फिर भी ये बच्चे बहुत लंबी आयु नहीं जी पाते हैं। अगर कुछ लोग सर्वाइव कर भी जाते हैं तो अक्सर किसी ना किसी बीमारी से पीड़ित रहते हैं और जीवन का आनंद नहीं ले पाते हैं।

डॉ. एन के गुप्ता ने थैलेसीमिया के बारे में विस्तृत जानकारी, एवं सरकार द्वारा थैलेसीमिया के लिए चलाये जा रहे योजनाओं के बारे में बताया। बिहार में थैलेसीमिया से पीड़ित के उपचार के लिए चलाये जा रहे डे केयर एवं चलाये जाने वाले डे केयर सेंटर के बारे में जानकारी दिए।

डॉ० अविनाश सिंह ने बताया कि थैलेसीमिया आनुवंशिक रोग होने के कारण इसकी रोकथाम बहुत मुश्किल है, बच्चों के जन्म से पहले एवं जन्म के बाद ब्लड टेस्ट के द्वारा इस रोग का पता लगाया जा सकता है। थैलेसीमिया से पीड़ित व्यक्ति की त्वचा हल्की पीली हो जाती है। थैलेसीमिया से पीड़ित व्यक्ति को विकास में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है, थैलेसीमिया से मरीज़ को काफी अधिक थकान भी महसूस होती है। थैलेसीमिया का खतरा उन लोगों को काफी अधिक होता है जिनके परिवार में पहले से किसी को थैलेसीमिया हो।

डॉ. विनोद भांति ने थैलेसीमिया से बचाव के लिए बहुत सारी जानकारी दिए एवं रेड क्रॉस सोसाइटी के द्वारा थैलेसीमिया के लिए कार्यों एवं ब्लड की उपलब्धता के बारे में जानकारी दिए साथ ही बचाव के लिए सलाह भी दिए।

बिहार थैलीसिमिया पैरंट एसोसिएशन सेक्रेटरी प्रियंका मिश्रा ने बताया कि थैलीसिमिया बच्चों को क्या-क्या परेशानियां आती हैं और उन्होंने लाइव डेमो करके दिखाया कि थैलेसिमीया में इंजेक्शन और दवाओं का प्रयोग कैसे करना है के बारे में बताया।

    आज के जागरूकता वेबिनार में आशा कुमारी, विश्वकर्मा शर्मा , अजय कुमार रणजीत कुमार, ब्रजेश कुमार, दीपक कुमार, केशरी  किशोर, कौशिक मिश्रा, रीता रानी , मनोज मिश्रा, मुकेश कुमार,पायल कुमारी, पिंटू सिंह पवन कुमार, रूबी सिंह, संजय कुमार एवं सभी पंचायत स्तर,प्रखंड स्तर, सबडिवीजन स्तर, जिला स्तर, राज्य स्तर के दिव्यांगजन अध्यक्ष के साथ सैंकड़ो दिव्यांगजन उपस्थित थे। 

आज के वेबिनार का संचालन संदीप कुमार (नेशनल ट्रेनर) के द्वारा किया गया।
विशेषज्ञों द्वारा थैलेसीमिया से पीड़ितों के समस्यायों के निदान के लिए गए निर्णय

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