विश्व योग दिवस और अंतर्राष्ट्रीय संगीत दिवस एक साथ मनाया गया

Yoga & Spirituality

विश्व योग दिवस और अंतर्राष्ट्रीय संगीत दिवस के अवसर पर दो सत्र में नृत्यमय योग, ध्यान और सांगीतिक संध्या का आयोजन।

संगीत, नृत्य और कला को समर्पित संस्था संगीत शिक्षायतन द्वारा विश्व योग दिवस और अंतर्राष्ट्रीय संगीत दिवस के अवसर पर दो सत्र में नृत्यमय योग, ध्यान और सांगीतिक संध्या का आयोजन किया गया।

एनआईटी घाट, पटना के प्रांगण में सुबह 7 बजे योग से दिन की शुरूवात हुई। जिसमे योगमय नृत्य का अद्भुत प्रदर्शन किया गया। कथक नृत्यांगना यामिनी के योग-नृत्य निर्देशन में राम चरित्र मानस के प्रसंग से अगस्त मुनि द्वारा उद्धरित आदित्य हृदय स्त्रोत और स्त्रोत सूर्योदय नमस्कार से हुआ। साथ में नृत्य कलाकारों चांदनी, रूबी, अनन्या, पियुषी, शिवानी, तान्या, हर्षिता ने भाव पूर्ण उत्कृष्ठ प्रदर्शन दिया।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र का आरंभ संध्या 4 बजे हुआ। के सेक्टर हनुमान नगर पार्क में योगासनो के प्रायोगिक अभ्यास योगाचार्य श्री अवधेश झा अवधेश झा, ट्रस्टी एवं अंतरराष्ट्रीय योग समन्वयक, ज्योतिर्मय ट्रस्ट ( यूनिट ऑफ योग रिसर्च फाउंडेशन, मियामी, फ्लोरिडा, यू.एस.ए.) ने वृक्षासन, नटराज आसन के विभिन्न अायाम, उत्तनपाद आसन, शलभासन, नौकासन, मरकट आसान, दिव्य आसन का अभ्यास कराए गए।* जिसमे उन्होंने योग जीवन संतुलन के लिए आवश्यक है। योग, प्राणायाम और ध्यान का नियमित अभ्यास करने से, हमारे जीवन में सर्वांगीण विकास होने लगता है और हम अपने जीवन के जिस लक्ष्य को हासिल करना चाहते हैं, उसे प्राप्त कर सकते हैं।
उसके बाद संध्या दीप प्रज्वलन से संगीत की संध्या सजी । जिसमे शिक्षायतन के संगीत विभाग से सभी कलाकारों ने अपनी मधुर प्रस्तुति से आनंदित किया।
सबसे पहले सरस्वती वंदना ” वादिनि वर दे…”
राग पटदीप में “मोर नैना उन संग लगे…”
निर्गुण में “जीवन का मतलब तो आना और जाना हैं…”
भजन, गज़ल
और सूफी संगीत की प्रस्तुति हुई। जिसका निर्देशन गुरु अनुरोध अमृत ने बखूबी किया। गायन कलाकार : दीप प्रकाश सिंह , रितिका, संजना, चांदनी, बिक्रम, सूर्य सागर, मंजीत मोहन ने सुरो से संगीत दिवस को सार्थक बनाया। तबले पर अनुष्टूप ने संगीत में जान डाल दिया।

उक्त अवसर पर मुख्य अतिथि सैयद मुहम्मद जिया हसन ने कलाकारो के संगीत योग की तैयारी से प्रसन्न होकर उत्साह के शब्दो से संबोधन किया, और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना भी किया। संस्था की अध्यक्षा श्रीमती रेखा शर्मा ने संगीत नृत्य नाट्य कला के संरक्षण में इन नवांकुरो की भूमिका सबसे महवपूर्ण है। अपनी परंपरा को कायम रखने के लिए योगमय जीवन और कला से जुड़े रहना हमारा पहला कर्तव्य है। शिक्षायतन इस में अग्रणी है।

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