रविंद्रनाथ ठाकुर जयंती का आयोजन

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पटना, दिनांक 10 मई, 2021:: पटना के संगीत शिक्षायतन में रविंद्र नाथ ठाकुर के जन्म अवसर पर विरासत दिवस के रूप में दो दिवसीय 8/5/21। तथा 9/5/21 को जयंती समारोह का आयोजन।
दोनों दिन के समारोह के पहले दिन यामिनी ( कथक नृत्यांगना और असिस्टेंट प्रोफेसर, शिक्षा विभाग, पटना विमेंस कॉलेज) के द्वारा शोध पत्र की प्रस्तुति की गई।
शोध का विषय अडॉप्टेशन ऑफ टैगोर’स स्टोरी इन थिएटर एंड फिल्म। शोध निहित उद्देश्य : रविंद्र नाथ टैगोर की लेखन शैली और साहित्य प्रभाव को जानना।
रविंद्र नाथ टैगोर की रचनाओं के पात्र भूमिका और विशेषता को जानना ।
थिएटर फिल्मों के लिए टैगोर की कहानियों के अनुरूप शीलता को जानना था। 1927 से लेकर 2012 की फिल्मों का मूल्यांकन करते हुए टैगोर की कहानियों के निरूपण पर प्रकाश डाला गया। टैगोर की कहानियों को न सिर्फ बांग्ला बल्कि आसामी हिंदी तमिल तेलुगू आदि भाषाओं में भी फिल्मांकन किया गया है। विसर्जन 1890 में लिखी कहानी पर आधारित फिल्म बलिदान 1927 में हिंदी मूक फिल्म बनी थी। “तेरे मेरे मिलन की यह रैना…” रविंद्र संगीत से ही लिया गया धून है। ठाकुर जी के प्रसिद्ध नृत्य नाटिका में शुमार कालमृगाया वाल्मीकि प्रतिशोध मालिनी चित्रांगदा गृह प्रवेश नटराज चंदौली का आदि 50 से भी अधिक रचनाएं हैं कविगुरु का अवदान थिएटर एवं फिल्मों के लिए बहुमूल्य विरासत है जो चिरकाल तक रंग कर्मियों एवं नृत्य कर्मियों के लिए प्रेरणा स्रोत रहेगा।

शिक्षायतन के कलाकारों द्वारा नृत्य की प्रस्तुति की गई जिसमें रविंद्र नाथ टैगोर की जन्म उत्सव और उनके चरणों में श्रद्धांजलि अर्पित किए गए। कलाकार अनन्या अपूर्वा, चारू चंद्रा, अनन्या कुमारी, श्वेता सुरभि ने केजे नाचे ता ता थोई थोई… 1905 में लिखी बांग्ला गीत एकला चलो री …. तुमि रोबे नी रॉबे…. कोतो बार भेमे चिनि…. गीतों पर मनमोहक प्रस्तुतियां दी।

काव्य पाठ की श्रृंखला में टैगोर की कविताएं तथा अपनी कविताओं का पाठ किया। शबनम चौधरी ने कवि वर की लिखी कविता नहीं मांगता, प्रभु, विपत्ति से, त्रान करो.. से काव्य धारा की शुरुवात किया। पूजा चौधरी ने कि सुमधुर आवाज़ में धूप का आंगन है, जाग उठा.., रवि किशन शिवा ने अपनी प्रस्तुति मन के भंवर में अब कोई नाव टिकता नहीं …. कविता के बोल के साथ गुरुदेव को श्रद्धांजलि अर्पित किया । रवि कुमार गुप्ता की स्व रचित समसामयिक कविता है लाख घनेरे कोहरे तो क्या, है पग पग पर पहरे तो क्या,, एक दिन सब कुछ छट जाएगा…. के सुंदर बोल के साथ छंद में गया। और आशावादी दृष्टिकोण से विराम दिया।

सभी प्रतिभागियों को शिक्षायतन की ओर से अध्यक्षा रेखा शर्मा ने आशीर्वचन और शुभकामनाएं देते हुए सर्टिफिकेट प्रदान किया गया।

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