चेतना योग यात्रा के माध्यम से प्राण वायु को ग्रहण करने के तरीकों का अभ्यास कराया गया

Yoga & Spirituality

पटना, दिनांक 30 मई 2021:: चेतना योग यात्रा कार्यक्रम शिक्षायतन के द्वारा चलाया जाने वाला योग ध्यान स्वस्थ पर आधारित है। जिसकी आज 18वीं कड़ी वर्चुअल रूप में प्रसारित की गई।
कोवीड महामारी में योग की महत्ता को ध्यान में रखकर कई राज्यो से सभी आयु वर्ग के अस्थमा, मधुमेह, रक्त चाप और हृदय रोगियों की समस्याओं के साथ सम्मिलित हुए।
योग के अष्टांग विधि, आसन और प्राणायाम को जाना।
कार्यक्रम की शुरुआत योगाचार्य हृदय नारायण झा जी द्वारा सुखासन अवस्था में ॐ के उच्चारण से हुई।
कार्यक्रम में यामिनी (कथक नृत्यांगना व सहायक प्राध्यापक, पी डब्लू सी) ने अध्यात्म पक्ष पर अपने विचार रखे –
जीवन की गति में ये एक सबसे बड़ा सत्य है कि न चाहते हुए भी अवरोध निवेश के रूप में मिलते रहते है। ये अवरोध श्वास पर नियंत्रण का नहीं होना, रक्त वाहिनियों का दवाब पर नियंत्रण नहीं होना, शारीरिक और मानसिक विचारों का तालमेल नहीं होना आदि आदि। ये सही समय है जब आंतरिक, बाह्य रूप में सबसे ज्यादा परिवर्तन हो तो जीवन में संतुलन बनाए रखना अतिआवश्यक है। योग से स्वत: हम मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से मजबूत होते है और अपने चारो ओर के ऑरा को दिव्य बनाकर रख पाते है। यही सकारात्मक होने का भाव है।
समकालीन परिस्थितियों को देखते हुए यामिनी ने जन मानस के सामने जीवन शैली और उसके प्रभाव के बारे में अपनी बात रखी।
शारीरिक स्वास्थ्य,मानसिक स्वास्थ्य , संवेगात्मक स्वास्थ्य, सामाजिक स्वास्थ्य, बौद्धिक स्वास्थ्य और आध्य्यात्मिक स्वास्थ्य की चेतना के अभाव में बढ़ रहा जीवन शैली विकार (Lifestyle disorder) और इसके कारण दिनानुदिन बढ़ रहे डायबीटीज, हृदय रोग, उच्चरक्तचाप, अस्थमा जैसे रोगों के मरीज।
विश्व में चीन के बाद दूसरा सर्वाधिक डायबीटीज रोगी वाला देश है अपना भारत देश। एक आंकड़ा के अनुसार भारत में सालाना 10.60 लाख मौत में उच्च रक्तचाप मुख्य कारण होता है। भारत में 3 करोड़ अस्थामा के रोगी है, जो सम्पूर्ण विश्व में अस्थामा रोगी का 10 % है। इस रोग में फेफड़ा कमजोर हो जाता है। उच्चरक्तचाप भी फेफड़ा से सम्बन्धित रोग है और डायबीटीज में भी फेफड़ा स्वस्थ नहीं रहता। अतः योग की सही जानकारी अति आवश्यक है। क्योंकि आसन और प्राणायाम समान हो सकते है, लेकिन विभिन्न रोग के अनुसार उसकी अवस्था और अवधि अलग अलग होती है।
आज के वर्चुअल कार्यक्रम में विशेषज्ञ के रूप में योगाचार्य जी अपने दो शिष्यों विकास कुमार और अनु तिवारी के साथ में तमाम उपस्थित दर्शकों के सवालों का जवाब देते हुए योग की बारीकियों को बताया।
प्राण वायु को ग्रहण करने के तरीके में रेचक, पूरक, अनुलोम विलोम, भस्त्रिका प्राणायाम के अभ्यास कराया। पेट के लिए अग्निसार क्रिया, साथ ही कई आसनों की जानकारी दी गई। जैसे सलभ आसान, भूजंगा आसान, सेतुबंध, उद्यनबंध, मूलबंध, जालन्धर बांध। टहलते हुए प्राणायाम का भी अभ्यास कराया। पूरे दिन में स्वास लेने और छोड़ने की अवधि पर नियंत्रण पर विशेष ध्यान देने को कहा। मन को नियंत्रित कर इन्द्रियों पर नियंत्रित करने पर बल दिया। स्लिप डिस्क, सायटिका, सर्वाइकल, पेट की चर्बी आदी को कम करने के सामान्य सवालों के भी दर्शकों ने जवाब जाना।
कारोना के इस महामारी में हम कैसे अपने जीवन शैली को विकार मुक्त बनाकर स्वस्थ जीवन का आनन्द ले सकते है? योग में क्या है इन रोगों का निदान को जाना।
वर्चुअल प्रसारण शिक्षायतन पटना, महर्षि दयानंद वोकेशनल कोर्स इंडिया, आयुष मंत्रालय तथा चेतना योग यात्रा के Facebook page से एक साथ किया गया। जिसमे लगभग पचास हजार से ऊपर दर्शक जुड़े हुए थे।
संस्था की अध्यक्षा श्रीमती रेखा शर्मा ने शुभकामना देते हुए कार्यक्रम की शुरुवात किया।
हुए इस कार्यक्रम का आयोजन प्रत्येक रविवार को होना निर्धारित है। जिसका प्रसारण शिक्षायतन पटना के फेसबुक पेज पर प्रस्तुति होगी।

शिक्षायतन द्वारा आयोजित चेतना योग यात्रा अबतक जिला और अन्य राज्यो में घूम घूम कर स्कूल, आश्रम, कॉलेज, ऑडिटोरियम, अस्पतालों में योग की शिक्षा और जागरूकता का कार्य करती रही है। परन्तु कोविड महामारी के कारण प्रत्येक रविवार सुबह 9:00 बजे से भारत के कई जाने-माने योग्य योग साधक, योग शोधकर्ता, समाजसेवी, चिकित्सक समाज से जुड़े लोगों से संपर्क स्थापित करने का यह कार्यक्रम शुरू किया गया है। इसमें हम अपनी योग के प्रति जिज्ञासा को शांत व परेशानियां को समाधान कर सकेंगे। चेतना योग यात्रा कार्यक्रम शिक्षायतन के द्वारा चलाया जाने वाला योग ध्यान स्वस्थ पर आधारित है। जिसकी आज 18वीं कड़ी वर्चुअल रूप में प्रसारित की गई। कोवीड महामारी में योग की महत्ता को ध्यान में रखकर।

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