गांजे-भांग के सेवन से होती है मानसिक समस्या; जानिए कैसे?

Health and motivation

  • डॉ॰ मनोज कुमार

दौलत और शोहरत का नशा होना एक समान्य बात है पर अगर कोई व्यक्ति दिखावे में या रोजमर्रा के तनाव-दबाव से बचने के लिए नशे को चुना है। इसमें सेहत के साथ समाजिक ताने-बाने में भी जबरदस्त खरोंचे आने लगी है। विश्व के अनेकों देशों में नशा और इसके अवैध कारोबार को लेकर तमाम बैठकों के बाद यह निर्णय लिया जा रहा है की आने वाली पीढी को इस दलदल में जाने से कैसे रोका जाये।अंतराष्ट्रीय नशा व इसके अवैध कारोबार निषेध दिवस के मायने लगातार बदल रहे।
बिहार में शराबबंदी के बावजूद अवैध नशे का कारोबार जिस प्रकार से युवाओं को लुभाया उसके आंकङे चौकाने वाले हैं। एल्कोहल बंदी के बाद से ही इसके सेवन करने वाले और नशे के अवैध कारोबारीयों के बीच आपसी प्रतिद्वंद्विता चलने लगी है। आए दिन आप बिहार में मिलते बङे-बङे नशे के खेप इस बात के ग्वाह हैं कि इसके अवैध कारोबार किस तलक फल-फूल रहे हैं।


गांजे-भांग के डिमांड है ज्यादा।

ओपियाड, कोकिन और कैनाबिज से संबंधित गांजे-भांग की मांग बढ रही।यह नशा ऐसा है जिसमें इसके सेवन करने वाले व्यक्ति में भावनात्मक मानसिक प्रकिया को अवरूद्ध करता है। व्यक्ति खुद को बङा और बेहतर समझता है। हर बार इस प्रकार के नशे का प्रभाव तुरंत प्रभाव न देकर अक्सर देर से लोगों की चेतना को सुस्त करता है। ब्राउन सुगर ले रहे बच्चों व युवाओं के मस्तिष्क के नसों को इस प्रकार के नशे कमजोर तो करता ही है यह व्यक्ति को महान समझने और स्वयं को इस दुनिया से अलग रखने की हिम्मत भी प्रदान करता है। अनेकों मामले मेरे पास पटना और इसके आसपास के क्षेत्रों से आते रहे हैं। जिसमें स्कूल जाने वाले उम्र में भी बीएस(ब्राउन-शुगर)लेने वाले किशोर आते रहें हैं । कुछेक एक मामले किशोरीयों के भी हैं।


नशे का अवैध कारोबार मौतें दे रहा।

विगत कुछ वर्षों में नशे का कारोबार इतना ज्यादा फला फूला है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के भी कान खङे हो गये।संपूर्ण विश्व में डब्ल्यू. एच.ओ के आंकड़े बताते हैं की वर्ष 2017 में अवैध नशा लेने से पुरे विश्व में 115 हजार लोग मरें।वहीं 2020 आते-आते करीब 269 करोड़ लोग अवैध नशा लेने लगे।वर्तमान में 15 वर्ष से 64 वर्ष तक के 270 करोङ लोग किसी न किसी अवैध नशे की गिरफ्त में है। अंतर्राष्ट्रीय पटल पर 180 हजार लोग असमय काल के ग्रास बन रहें ।कारण सिर्फ है अवैध रूप से मिलने वाला नशे का समान।
दुनिया में अभी करीब 50 फ़ीसद देशों ने नशामुक्ति केन्द्रों की स्थापना की है जबकी दुनिया के 20 प्रतिशत देश ओपियाड जैसे एक्सट्रीम स्तर के नशा से उबङने की व्यवस्था की है।


शराब के साथ सिगरेट पीने वाले की मौतें अधिक।

बिहार में सिगरेट के साथ शराब परोसने का चलन रहा है।ज्यादातर लोग शराब और सिगरेट को छल्ले बनाकर पीते देखे जाते रहें हैं ।बीङी और महुआ से बने शराब भी अलग-अलग जगहों पर इस्तेमाल होने की खबरें आती रही हैं। इन सब से व्यक्ति के मस्तिष्क के साथ शारीरिक रूप से बीमार होने के चांसेज बढ जाते हैं। नतीजतन व्यक्ति असमय ही मौत के मुँह में चला जा रहा। आवश्यकता है उपचार की।

किसी भी तरह के नशे से पुरी तरह समाधान किया जा सकता है। आवश्यकता इस बात की है की परिवार व समाज प्रमाण आधारित चिकित्सा पर जोर दे। मसलन मरीज में नशा लेना एक सीखा हुआ व्यवहार है ।इसके लिए नशे से पीड़ित के सभी लक्षणों के अवलोकन किये जायें।पीङीत व्यक्ति के साथ मानवीय मूल्यों के साथ व्यवहार करना अच्छे परिणाम देता है। परिवार को कभी भी नशा लेनेवाले से घृणा से नही देखना और उनका पूर्ण सहयोग देना नशा लेने वाले को एक मजबूत स्तंभ देता है। इससे सोये हुए आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति को पुनः प्राप्त करने में मरीज को सहूलियत होती है।

  • डॉ॰ मनोज कुमार, मनोवैज्ञानिक चिकित्सक सह नशा संबंधी समस्या विशेषज्ञ हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *