पटाखों से पशु पक्षियों का जीवन भी पड़ता है खतरे में

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पटाखों से इंसानों के साथ-साथ पशु पक्षियों को भी नुकसान पहुंचता है। ध्वनि और वायु प्रदूषण की चपेट में वे आसानी से आते हैं और उनका जीवन खतरे में पड़ जाता है। पर्यावरण एवं पक्षी संरक्षण की दिशा में काम कर रहे पटना की संस्था ‘हमारी गौरैया और पर्यावरण योद्धा’ द्वारा आज “पटाखे से प्रदूषण और पक्षियों का जीवन” विषय पर ऑनलाइन परिचर्चा में वक्ताओं ने यह चिंता जताई और हरित दीपावली मनाये जाने पर जोर दिया ।

परिचर्चा को संबोधित करते हुए भारतीय प्राणी सर्वेक्षण, क्षेत्रीय केंद्र, पटना के वैज्ञानिक-ई और प्रभारी अधिकारी डॉ.गोपाल शर्मा ने कहा कि दीपावली पर पटाखों का प्रयोग नहीं करना चाहिए हमें ग्रीन दीपावली मनानी चाहिए। पटाखों से बड़े पैमाने पर ध्वनि और वायु प्रदूषण होता है। मानव 30 से 50 डेसीमल तक आवाज सुन पाता है जबकि पक्षी 20 से भी कम को सुन लेते हैं। ऐसे में पटाखों से सौ से डेढ़ सौ डेसीबल तक निकलने वाले कर्कश आवाज इंसानों और पशु-पक्षियों के कान के पर्दे को प्रभावित करता है। पटाखों की तेज आवाज से पक्षी डर जाते हैं और घोंसले से निकल कर इधर-उधर भागने लगते हैं और रास्ता भटक जाते हैं। उन्होंने कहा कि पटाखों से सल्फर डाइऑक्साइड,कार्बन डाइऑक्साइड जैसी खतरनाक गैस निकलती है जो पर्यावरण के साथ-साथ पक्षियों को बुरी तरह से प्रभावित करती है।

पर्यावरण प्रेमी-चिंतक एवं पीआईबी, पटना, के निदेशक दिनेश कुमार ने कहा कि दीपावाली के अवसर पर छोड़े जाने वाले पटाखों के कारण पशु-पक्षियों को इतना नुकसान होता है कि हम कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। पटाखों की आवाज से जनवरों में सर्वाधिक ह्रदयघात देखने को मिलता है। दीपावली के बाद अक्सर सड़कों पर पशु-पक्षी मृत पाये जाते हैं। उन्होंने कहा कि पटाखों के आवाज से पक्षियों में मनोविज्ञान डर बन जाता है,जिससे उनका विकास तो रुक ही जाता हैं,साथ ही वे हल्के आवाजों से भी डरे डरे रहने लगते हैं। पटाखों से निकलने वाली रोशनी से पक्षियों के रेटिना खराब हो जाती हैं,जिससे उन्हें अन्धापन का शिकार होना पड़ता हैं।

वहीं,परिचर्चा के आयोजक और हमारी गौरैया के संयोजक संजय कुमार ने बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद द्वारा पटना शहर में गत दीपावली में कराये गये अध्ययन की चर्चा करते हुए कहा कि परिवेशीय वायु में जहरीले वायु के अलावे पाये गये हानिकारक धातुओं जैसे आर्सेनिक, लेड, निकेल इत्यादि की मात्रा निर्धरित मानक से ज्यादा होने से मानव स्वास्थ्य के साथ – साथ पशु, पक्षियों तथा परिवेशीय वायु/पर्यावरण के लिये काफी हानिकारक रही थी। ऐसे में पटाखों से दूर रहना इंसान के साथ साथ पशु पक्षियों के लिये अति आवश्यक है।

मलकानगिरी, उड़ीसा की पक्षी संरक्षक
दीपारानी नायक ने कहा कि हमें अपनी ख़ुशी के लिए किसी जीव को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए। दीपावली को देखते हुए पक्षियों के लिए आवास की व्यवस्था करनी चहिए। इसके लिए बहुत धन खर्च करने की आवश्यकता नहीं है,बल्कि मिट्टी या सूखा हुआ कद्दू जैसे चीजों से भी घोंसला बना सकते हैं। उन्होंने युवाओं से अपील अनुरोध की कि इस दीपावली में वे आगे आगे आये और पक्षियों के संरक्षण में अपना योगदान दे।

मौके पर पर्यावरण योद्धा पटना के अध्यक्ष निशांत रंजन ने कहा कि पटाखों से पक्षी अक्सर डरने के बाद किसी जगह पर छिपने की कोशिश करते हैं। इसके लिए सबसे उपयुक्त कृत्रिम घोंसला होता हैं। वे उसमें काफ़ी सुरक्षित महसूस करती हैं। बड़े पक्षी भी पेड़ो को छोड़ इधर उधर चले जाते हैं। इसलिए हमें घरों में घोसलें लगाने चाहिए,ताकि इनको आवास मिल सके।

परिचर्चा में महासमुंद, छत्तीसगढ़ के पक्षी संरक्षक संजय कुमार साहू, जोधपुर से अनिल कुमार सिंह, लखनऊ से जिज्ञासा सिंह, पटना से नीम पीपल तुलसी अभियान के अध्यक्ष धर्मेंद्र कुमार, तरुण कुमार रंजन, नवीन कुमार, सुधांशु शेखर, अमित कुमार पांडे, छपरा सोनू कुमार, बेगूसराय से सोनू मिश्रा सहित कई गणमान्य लोग जुड़े। कार्यक्रम का संचालन संजय कुमार और धन्यवाद ज्ञापन निशांत रंजन ने किया।

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