अचानक हृदयाघात: कोरोना के साइड इफेक्ट तो नहीं?

Health and motivation

  • जितेन्द्र कुमार सिन्हा

पटना :: कोरोना काल के बाद हृदयाघात (हार्ट अटैक) से अचानक हो रही मौत की घटना सामने आ रही है, जिससे चिकित्सकों के बीच नई चिंता खड़ी हो गई है। चिकित्सक ऐसे पहले भी आगाह करते रहे है कि कोरोना संक्रमण का भयावह दौर देखने के बाद संक्रमण के सेहत पर दूरगामी दुष्प्रभाव हो सकते है।

इधर देखा जा रहा है कि कम उम्र के लोगों में भी हृदय संबंधी समस्या ज्यादा हो रही है। लेकिन अभी किसी अध्ययन में, ठोस रूप से यह साबित नहीं किया जा सका है कि यह समस्या कोरोना से संक्रमित हो चुके लोगों में, ज्यादा हो रही है या लाइफ स्टाइल के कारण तो नहीं हो रहा है। जबकि चिकित्सकों द्वारा समय-समय पर विभिन्न शोध के माध्यम से यह कहा जाता रहा है कि कोरोना संक्रमण के बाद लोगों की, सेहत को लेकर जोखिम बढ़ा है।

नई दिल्ली के एम्स चिकित्सकों के ताजा आकलन में यह बताया गया है कि अचानक दिल का दौरा पड़ने से होने वाली मौतों का संबंध कोरोना से हो सकता है, इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। यह बात भी सही है कि कोरोना संक्रमण के साइड इफेक्ट लोग आज भी झेल रहे हैं। लोगों में तरह-तरह की स्वास्थ्य समस्याएं सामने आ रही है। यही कारण है कि लोगों के मन से, कोरोना संक्रमण का खतरा लगातार खत्म कम होने के बावजूद भी, सेहत को लेकर होने वाले खतरों के लिए खौफ कायम है। इसका एक वजह ये भी है कि इस संबंध में लोग अपने स्तर पर ही अनुमान भी लगाने लगे है कि हो न हो उनकी सेहत संबंधी समस्या कोरोना संक्रमण की वजह से ही बढ़ी है।

देखा जाय तो जो लोग, कोरोना के गंभीर संक्रमण के शिकार हुए है, उनका श्वसन तंत्र कोरोना संक्रमण के कारण बुरी तरह प्रभावित हुआ था। इस बात से भी सभी लोग वाकिफ हैं कि कोरोना ने शरीर के आंतरिक कई अंगों को नुकसान पहुंचाने का काम किया है, ऐसा चिकित्सक भी पहले कह चुके है। लेकिन समुचित जानकारी के अभाव में भी लोगों ने तरह-तरह की अफवाहों को सेहत के खतरों से जोड़ने लगे है। इसी क्रम में कोरोना वैक्सीन को ले कर भी भ्रामकता फैली थी और फैली है, जिसका परिणाम है कि कोरोना की बूस्टर डोज का टीकाकरण धीमी गति से हुआ है।

हृदयाघात (हार्ट अटैक) के कई कारण होते है लेकिन चिकित्सकों का मानना है कि कोरोना को लेकर जो अंदेशा है, उस पर भी खास ध्यान देने की जरूरत है। इस बात पर भी गहन अध्ययन की आवश्यकता है कि क्या सही में बैठे-बैठे, वाहन चलाते हुए, समारोह में नाचते-गाते और पैदल चलते, अचानक हृदयाघात (हार्ट अटैक) से जो मौतें हो रही है, उसका संबंध कहीं कोरोना से तो नहीं है।

चिकित्सकों का माने तो केवल हृदय संबंधी रोगों पर ही गहन अध्ययन की आवश्यकता नहीं है, बल्कि जरूरत है कि कोरोना के साइड इफेक्ट से होने वाले वैसे सभी रोगों पर अध्ययन किया जाए, जो उससे होने वाले रोगों और उनसे बचाव से जुड़ा हो।

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