टूवॉड्स द नेचर: विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष – योग कार्यक्रम

Yoga & Spirituality

पटना, 6 जून 2021:: प्रकृति के प्रति सजगता लाने के लिए संगीत शिक्षायतन, पटना द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर तीन दिवसीय कार्यक्रम “Towards the Nature” के तीसरे दिन की शुरुवात योग से हुई।

संगीत शिक्षायतन द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर चेतना योग यात्रा -19 सबके लिए योग… मानवीय आंतरिक और बाह्य मूल्यों के अंतरक्षण पर आधारित कार्यक्रम का आयोजन रविवार 6/06/2021 को आयोजित की गई। जिसका विषय है ” प्रकृति पर्यावरण और हमारा जीवन”।
योग विशेषज्ञ हृदय नारायण झा और विशिष्ठ अतिथि वरुण कुमार सिंह (अध्यक्ष, कला एवं संस्कृति प्रकोष्ठ, बिहार प्रदेश, भाजपा) स्वयं उपस्थित थे। वरुण कुमार सिंह पूरी सजगता से योगा आसनों और प्राणायाम का अभ्यास कर सभी दर्शकों के लिए प्रेरणा स्रोत बने। कार्यक्रम में विकास कुमार, अनु तिवारी, चारु चंद्रा योग प्रशिक्षुओं ने भी योग की प्रयोगात्मक प्रस्तुतियां दी।

कथक नृत्यांगना यामिनी ने विस्तार से, प्राकृतिक पर्यावरण और शारीरिक पर्यावरण की सुरक्षा, स्वक्षता की बात को उजागर किया। इस धरती पर पूरे जीव सृष्टि को जीवित रखने के लिए पर्यावरण सबसे महत्वपूर्ण पहलू है। यह पर्यावरण हमारे शरीर के आंतरिक और बाह्य तत्वों के साथ है। मानव शरीर पर्यावरण में मौजूद पांच तत्वों से बना है। यह तत्व जल अग्नि आकाश वायु मिट्टी है। इसकी शुद्धता और संतुलन बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है। जिसके लिए योग उत्तम साधन है। ये ही हमारे प्राकृतिक वातावरण पर निर्भर करता है कि हमारा पर्यावरण कैसा है? इसलिए हमें प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करते हुए प्रकृति का सम्मान करना चाहिए। इस धरा पर जड़ी बूटियों, जल, हवा, कंद – मूल का अथाह सागर है। जो हमारे जीवन का ही अभिभाज्य घटक है। इस धरती को सबसे ज्यादा नुकसान ग्लोबल वार्मिग से है। हमने ही इस दुनिया में प्रदूषण फैला कर रखें है। आज ऑक्सीजन की कमी हो रही है। दूषित पर्यावरण के कारण ही जन मानस में रोग प्रतिरोध की क्षमता घट गई है। इसके लिए यदि हम जिम्मेदार है तो, संभालना भी हम जान मानस को ही होना होगा।
अतः प्रकृति के संरक्षण के प्रति सजगता लाने के लिए योग के माध्यम से प्रकृति के प्रति दायित्व व मानव मूल्यों को समझना होगा।

ह्रदय नारायण झा ने शरीर के पंच तत्वों को शुद्ध करने के आयाम बताए। प्राण वायु को ग्रहण करने के तरीके में रेचक, पूरक, अनुलोम विलोम, भस्त्रिका प्राणायाम के अभ्यास कराया। पेट के लिए अग्निसार क्रिया, साथ ही कई आसनों की जानकारी दी गई। जैसे सलभ आसान, भूजंगा आसान, सेतुबंध, उद्यनबंध, मूलबंध, जालन्धर बांध, रेचक पूरक, भस्त्रिका, कपालभाती आदि का प्रयोगात्मक रूप में परिभाषित करते हुए क्रिया को दोहराते हुए स्पष्ट किया। श्वास को लेने – छोड़ने और थामने की अवधि को विस्तार से बताया। शारीरिक स्वास्थ्य,मानसिक स्वास्थ्य , संवेगात्मक स्वास्थ्य, सामाजिक स्वास्थ्य, बौद्धिक स्वास्थ्य और आध्य्यात्मिक स्वास्थ्य की चेतना को जागृत करने की बात कही।

वरुण कुमार सिंह (अध्यक्ष, कला एवं संस्कृति प्रकोष्ठ, बिहार प्रदेश, भाजपा) ने योग और पर्यावरण हमारे जीवन में समान रूप से महत्व रखते है । इसलिए योग कर अपने अंदर के पर्यावरण को शुद्ध रखने की जरूरत है। तथा साथ ही प्रकृति की रक्षा कर अपने बाह्य वातावरण को एक पेड़ लगाकर पर्यावरण को स्वच्छ रखने की अपील भी की।

संस्था की अध्यक्षा श्रीमती रेखा शर्मा ने संस्था से जुड़े नव सदस्यों को पौधे देकर अभिनन्दन किया। तथा सभी प्रतिभागियों को उत्साह वर्धन के लिए प्रकृति से प्राप्त होने वाले असीमित भंडार के बारे में बताया और कहा, कि हम सभी को उसकी रक्षा करनी चाहिए। अवधेश झा, अंतरराष्ट्रीय योग समन्वयक, ज्योतिर्मय ट्रस्ट (यूनिट ऑफ योग रिसर्च फाउंडेशन, मियामी, फ्लोरिडा, अमेरिका) की ओर से चेतना योग यात्रा के सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किया गया।
शिक्षायतन द्वारा आयोजित चेतना योग यात्रा अबतक जिला और अन्य राज्यो में घूम घूम कर स्कूल, आश्रम, कॉलेज, ऑडिटोरियम, अस्पतालों में योग की शिक्षा और जागरूकता का कार्य करती रही है। परन्तु कोविड महामारी के कारण प्रत्येक रविवार सुबह 9:00 बजे से भारत के कई जाने-माने योग्य योग साधक, योग शोधकर्ता, समाजसेवी, चिकित्सक समाज से जुड़े लोगों से संपर्क स्थापित करने का यह कार्यक्रम शुरू किया गया है। इसमें हम अपनी योग के प्रति जिज्ञासा को शांत व परेशानियां को समाधान कर सकेंगे। चेतना योग यात्रा कार्यक्रम शिक्षायतन के द्वारा चलाया जाने वाला योग ध्यान स्वस्थ पर आधारित है। जिसकी आज 19वीं कड़ी वर्चुअल रूप में प्रसारित की गई।
पर्यावरण दिवस विशेष प्रकृति और योग की महत्ता को ध्यान में रखकर आयोजित किया गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *