विश्व पर्यावरण दिवस पर तीन दिवसीय हरित कार्यक्रम

Environment

पटना: शिक्षायतन द्वारा आयोजित २४ जून से चल रहे “तुम और हम” समर कैंप 2022 में आज बारहवें दिन प्रशिक्षुओं ने उत्साह से सारी एक्टिविटीज में भाग लिया। कैंप के दौरान सीखे गए कलाओं का प्रदर्शन “विश्व पर्यावरण दिवस” के अवसर पर तीन दिवसीय संस्कृति कार्यक्रम, प्रतियोगिता और सेमिनार से समापन होगा।

5 जून पर्यावरण दिवस के दिन वृक्ष रोपण का कार्यक्रम हनुमान नगर पार्क में रखा गया। सभी बच्चो ने अशोक, छतवान, आंवला, गुलमोहर, हर श्रृंगार, कामिनी, गंध राज, गुलाब, करीपत्ता, जूही, तुलसी, आदि पौधो और पेड़ को रोपा। कंकरबाग स्थित अन्य चार पार्क भूतनाथ, के सेक्टर पार्क, हनुमान नगर पार्क, वंडरलैंड पार्क में 100 पेड़ लगाए गए।

Tree as a gift साथ ही उपस्थित 150 बच्चो और उनके अभिभावकों को उपहार में छोटे पेड़ वाले पौधो को प्रदान किया गया। और उनसे यह प्रतिज्ञा ली गई । “आओ ये संकल्प उठाए, पर्यावरण को नष्ट होने से बचाएं। स्वयं जागृत हो और सभी को जागृत करें , हम सब अपनी आंतरिक और बाह्य चेतना को जगाए।”

तीसरा और आखरी सत्र में योग का अमृत महोत्सव में योग विषय पर सेमिनार तथा योग नृत्य आकर्षक कार्यक्रम हुआ।

व्याख्यान का विषय था : शरीर और पर्यावरण के संदर्भ में योग व्याख्यान हृदय नारायण झा ने किया। शिवांगिनी स्वराज तथा रजनीश जी ने रिलेशनशिप एंड स्ट्रेस फ्री मैनेजमेंट विषय की व्याख्या करते हुए हीलिंग कर प्रायोगिक रूप में सभा में उपस्थित अभिभावकों का उपचार किया। मुंगेर से उपस्थित रितेश मिश्रा ने प्रतिदिन के लिए योगासन विषय को समझते हुए प्रायोगिक रूप में अभ्यास कराया।
कथक नृत्यांगना यामिनी ने “योग नृत्य: रिलेशन एंड बैलेंसिंग बॉडी” विषय पर व्याख्यान दिया तथा आदित्य हृदय स्त्रोत पर अपनी शिष्याओ के साथ नृत्य प्रस्तुत किया। साथी कलाकार अदिति सारण्य, रूबी कुमारी, पियूषी मिश्रा, कशिश मिश्रा थीं। यामिनी ने अपने व्याख्यान में कहा – नृत्य और योग या यूं कहें, नृत्य में योग अगर मिल जाएं तो नृत्य, शिव नृत्य में साक्षात्कार हो जाए। वैसे तो कहा गया है “योग कर्मसु कौशलम” कर्म को कुशलता से करना ही योग है अर्थात योग जीवन के अध्याय को पढ़ने और सुगमता से जीने में समझ प्रदान करता है। वैसे ही नृत्य एक सांस्कृतिक कर्म है जिसमें ‘योग’ का योग कर जीवन में कला रूपी आनंद का निर्माण किया जा सकता है। वर्तमान में हम जितना ही अपनी संस्कृति से दूर हो रहे हैं, उतना ही अपनी भाषा, व्यवहार, वाणी, ज्ञान, स्वास्थ्य, सुकर्म इत्यादि से भी दूर हो रहे हैं, योग और कला दोनों ही हमें यह ज्ञात कराता है और सही मार्ग पर चलना सिखाता है। योग के माध्यम से उसके तत्वों के साथ नृत्य सीखना अद्भुत सामंजस्य हो सकता है। नृत्य में शरीर की सामंजस्यता, बुद्धि की विलक्षणता, मन की स्थिरता में योग शीघ्र ही सिद्धि प्रदान करता है। नृत्य-योग का यह पाठ्यक्रम बनाने का उद्देश्य कला के सत्व रूप को जन-जन में स्थापित करना है ताकि वह इस ईश्वरी कला के माध्यम से स्वयं के सुंदर व्यक्तित्व का निर्माण कर सुंदर समाज का भी निर्माण कर सकें।

वेद जी ( संस्कार भारती के प्रांतीय महा मंत्री), वरुण सिंह (कला संस्कृति प्रकोष्ठ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष) रेखा शर्मा (अध्यक्ष, संगीत शिक्षायतन) सभी बच्चो को आशीर्वाद के वचनों से उपस्थित दर्शको और कलाकारों को अनुग्रहित किया।

कार्यशाला में विभिन्न विशेषज्ञ रवि मिश्रा, प्रवीर कुमार, रोहित मेहरा, अनुरोध रंजन, यामिनी, रितिका, योगाचार्य रितेश मिश्रा, अपना वहुमुलय समय देकर प्रशिक्षुओं को संवारने का कार्य किया।

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