बिहार बजट 2023 -24 का विश्लेषण

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  • प्रो. अजय कुमार झा
    (राजनैतिक – आर्थिक विश्लेषक)

पटना/दिल्ली : 9 मार्च 2023 :: 28 फरवरी 2023 को बिहार के वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी के द्वारा विधानसभा में राज्य के लिए वित्तीय वर्ष २०२३- २४ का बजट प्रस्तुत किया गया। वित्तीय वर्ष २०२२- २३ का योजना आकार जो २,०३७,६५१.१९ करोड़ रुपए का था उसे २०२३-२४ के वित्तीय वर्ष में बढ़ा कर २,६१,८८५.४ करोड़ रुपए का किया गया है।

अपने मूल रूप में यह बजट कई संभावनाओं को लिए हुए है। परंतु इसकी भी अपनी कुछ सीमाएं है।

यहां इस बात पर गौर करना आवश्यक होगा कि नीतीश कुमार के पूरे कार्यकाल में बिहार का योजना आकार हमेशा ही बढ़ता रहा है। जहां वित्तीय वर्ष २००४- ५ में बिहार बजट का योजना आकार करीब ४ हजार करोड़ रूपये के आसपास था, वहीं (जैसा कि ऊपर बतलाया गया है) २०२३ – २४ आते आते यह बढ़कर २,६१,८८५.४ रूपये तक पहुंच गया।

बिहार की त्रासदी यह है कि इसके बावजूद बिहार की स्थिति देश के आर्थिक सूचकांक पर आज भी अत्यंत ही दयनीय दिखती है। सकल घरेलू उत्पाद के स्तर पर अन्य राज्यों की तुलना में बिहार आज भी अत्यंत ही निचले स्तर पर है। घरेलू उत्पाद की तालिका में आज १४ वें पायदान पर अवस्थित है। यह बात अलग है कि बिहार के सकल घरेलू उत्पाद की दर इस साल भी दस प्रतिशत से अधिक की गति से चलती हुई दिख रही है पर यह अपने आप में पर्याप्त नही है।

बिहार सरकार लगातार पिछले कई वित्तीय वर्षों से सार्वजनिक क्षेत्रों में ही पूंजी व्यय करती रही है पर सरकारी खर्च जो भी सार्वजनिक क्षेत्र में किए गए वे दुर्भाग्यवश निजी क्षेत्रों को साथ लाने में विस्तृत रूप से सफल नहीं हो पाए। हां, कुछ इक्के दुक्के निजी क्षेत्र के उद्योग -धंधे बिहार में अब जरूर दिख जाते हैं, परंतु बिहार की विकास गाथा में उनका कोई विशेष योगदान होता हुआ नहीं दिख रहा। आज की वास्तविकता यह है कि निजी क्षेत्र से लोगों को जोड़े बिना सरकारें ज्यादा कुछ भी हासिल नहीं कर सकती। सच तो यह है कि अबतक इस दिशा में कोई क्रांतिकारी शुरूआत हो भी नहीं पाई है।

इन सब बातो से हटकर अगर सरकार के वर्तमान बजट में निर्धारित लक्ष्यों को देखे तो यह बहुत ही आकर्षक और उत्साहजनक दिखता है। सरकार ने 10 लाख लोगों को रोजगार देने की बात की है। यह अपने आप में एक बड़ा लक्ष्य है। सच पूछा जाए तो इसे पूरा कर पाने में सरकार को वैसे तो अत्यंत कठिनाई का सामना करना होगा, क्योंकि सरकार के पास अभी इतने साधन उपलब्ध नही है। फिर भी सरकार अगर इस दिशा में अपने निर्धारित लक्ष्य का आधा भी हासिल कर पाती है तो वह साधुवाद की पात्र होगी।

इसके अलावा सरकार ने अपने बजट प्रस्ताव में जिन बातों पर जोर दिया है उसमें मुख्य तौर पर कृषि, स्वास्थ्य तथा महिला सशक्तिकरण का क्षेत्र है। इसके अलावा पुलिस एवं शिक्षा विभाग में नई नियुक्तियों पर भी सरकार जोर देगी, ऐसा भी बताया गया है। साथ ही सरकार ने “सात निश्चय” योजना को पुनः मुख्यधारा में रखने का मन बनाया है,यह भी बजट प्रस्ताव में दृष्टिगत होता हुआ प्रतीत होता है।

कृषि क्षेत्र में भी सरकार की योजना अच्छी है। राज्य सरकार अपने चतुर्थ कृषि रोड मैप पर काम करेगी।

स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी महत्वाकांक्षी योजनाओं को अमल में लाने की बात की गई है। जैसे, पीएमसीएच को विश्वस्तरीय बनाया जाएगा।यह एक बहुत बड़ी बात होगी,अगर सरकार सचमुच इसे क्रियान्वित कर पाती है।इसके साथ ही जिला अस्पतालों को भी बेहतर बनाया जाएगा। ऐसा प्रस्ताव रखा गया है। और इन सबसे भी महत्वपूर्ण यह है कि राज्य में कुछ नए मेडिकल कॉलेज खोले जाएंगे।इसका दूरगामी प्रभाव पड़ेगा।

महिला सशक्तीकरण के संदर्भ में लिए गए निर्णय भी अत्यंत प्रभावकारी होंगे, ऐसा माना जा सकता है। इतना ही नहीं। सरकार ने अपने बजट प्रस्ताव में यह घोषणा भी की है कि वैसे महिला उम्मीदवार जो यूपीएससी और बीपीएससी परीक्षा की तैयारी करेंगी उन्हें सरकार से एक निश्चित वित्तीय सहायता भी प्रदान की जाएंगी। इसके अलावा जो भी छात्राओं के लिए आवासीय- विद्यालयों की संख्या बढ़ाई जाएगी। साथ ही सरकार ने विधवा महिलाओं के लिए भी अलग से कुछ वित्तीय सहायता प्रदान करने की बात भी की है। निश्चित तौर पर राज्य में इसका भी अत्यंत सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

कृषि क्षेत्र में भी बजट प्रस्ताव में कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की गई हैं जो अच्छे दिखते हैं। सरकार ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की कि बिहार के वैसे कृषि उत्पाद जिन्हें जीआई टैग लिस्ट में शामिल किया गया है उन्हें सरकार विशेष तौर पर प्रोमोट करेगी। इसमें मिथिला के मखान,
मुजफ्फरपुर की शाही लीची इत्यादि को सीधा लाभ पहुंचेगा। साथ ही सरकार हरेक खेत में पानी पहुंचाने की कोशिश भी करेगी।

इसके अलावा सात निश्चय योजना को मजबूती प्रदान करने के क्रम में तहत हरेक घर में नल पहुंचाने पर पूरा जोर रहेगा।

इसके अलावा एक महत्वपूर्ण घोषणा यह हुई कि सरकार ने अपना राज्स्व घाटा घटाने का लक्ष्य भी रखा। परन्तु अब ये इतना आसान नहीं बल्कि बहुत ही कठिन कार्य है। सरकार को इसके लिए काफी मसक्कत करनी पड़ेगी।

सरकार ने उद्योग को बढ़ावा देने हेतु राज्य में बड़ी संख्या में इथनऔल यूनिट और बॉटलिंग प्लांट लगाने पर जोर देगी।

यहां सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह होगी कि सरकार अपने बजट प्रस्ताव में सुझाए गए कार्यों को किस हद तक पूरा कर पाती है।

बिहार अगर आज भी अत्यधिक पिछड़ा है यह चिंता का का कारण है। बिहार सरकार को बिहार के पिछड़ापन के मुख कारक तत्वों की खोज करनी होगी। तथा एक विस्तृत योजना के तहत उनका निवारण करना होगा।

तात्कालिक तौर पर मेरा मानना है कि सरकार जो भी लक्ष्य निर्धारित करती है उसकी प्राप्ति की दिशा में सरकार के सभी विभागों को एक संयुक्त समिति के तहत “साप्ताहिक समीक्षा” करनी चाहिए। इस समीक्षा के उपरांत जो भी अड़चन जहां भी दृष्टिगत हों उन्हें पूरी शक्ति से, और जहां भी आवश्यकता हो, उन्हें पूरी सख्ती से निपटाना होगा। परंतु इसके लिए दृढ़ संकल्प और इच्छाशक्ति की आवश्यकता होगी।

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