दिनांक: 15 जून 2025 :: तुलसीदास द्वारा रचित रामचरित मानस से प्रसंग का शास्त्रीय नृत्य शैली कथक में नृत्य नाटिका “तृण धरि ओट” का प्रदर्शन किया गया। कथा की शुरुआत दिव्य वातावरण को जन्म देती हुई थी। सीता माता के जन्म की घटना और फिर चित्रकूट वन का अदभुत वर्णन देखने को मिलता है। अंशिका राज का सीता के स्वरूप का वर्णन आंगिक भाव से जीवंत कर रूप प्रदान करने वाला था। भगवान राम के चरितख्यान भजन के माध्यम से बखूबी किया गया है।
माता सीता के श्रीराम से विवाह उपरांत वनवास कथा को दूसरे परिदृश्य में ले जाते है। रावण अवतरण और सीता हरण दृश्य रेंगते खड़े कर देने वाले थे। तान्या शर्मा ने रावण के किरदार को बेहतरीन तरीके से बखूबी निभाया। अशोक वाटिका में रावण बार बार आता और उसे विफलता ही मिलती है। माता सीता का श्री राम के प्रति अकाट्य विश्वास उन्हें संभलता प्रदान करता है। रावण के दुखदायिनी बातों से व्यथित सीता कहती है – यह मेरा दुर्भाग्य है रावण, सारी बातें सुननी पड़ी है।हे भद्र सुख हो भला तुम्हारा। तुम अपना मन मेरी ओर से शीघ्र हटा लो।मैं हूं एक स्त्री पराई, पतिव्रता हूं, एक दीन मानव कन्या हूं, भार्या योग्य नहीं हूं तेरी ।तुम हो राक्षस राज, हे रावण मुझे अबला को कर अपमानित कहो कैसे सुख पाओगे तुम? धर्म का पालन क्यों नहीं करते? तनिक भी लज्जा नहीं आने का क्या है कारण… कपटी पिशाच राक्षस राज हे निर्लज रावण, हे निर्लज रावण, हे निर्लज रावण..इतना कहकर माता सीता अपने मुखपर वसन डाल फूट फूट कर रोने लगती है। सीता के मन में दुख से उठे ज्वार बवंडर को नृत्यांगना यामिनी ने अपने नृत्य साधना की प्रवीणता का परिचय दिया है। माता सीता के समक्ष रावण के सभी यंत्र तंत्र व्यर्थ हो जाते है। जब भी छल से राम रूप को धारण कर जाता तो सीता मैया उन्हें दिखाई नहीं देती और जब अपने वास्तविक रूप में जाता तो सीता मां तृण धरि ओट कर लेती थी। तिनका मात्र तिनका नहीं था, वह माता सीता की पवित्रता और अकाट्य विश्वास का प्रतीक था। धरती से उठाया तिनके में सीता मैया का धरती को अपना सर्वस्व सौंप कर पृथ्वी की शक्ति स्वरूपा दृष्टव्य होती है। वर्तमान समाज में स्त्री के प्रति लोगों की दृष्टि को दर्शाती यह नृत्य नाटिका समाज में भारतीय संस्कृति और स्त्री की शक्ति, बलिदान, धैर्य और वीरता का पोषक है। मंदोदरी की भूमिका में सौम्या आर्या ने रावण को कई तरीकों से समझने का प्रयास करती है, लेकिन अधर्मी रावण के लिए यह व्यर्थ था। सभी नृत्य कलाकार अंशिका राज, आन्या सिंह, शिवानी कुमारी, आशिक चंद्र, अनुष्का स्वर्णा, पियूषी मिश्रा, राज लक्ष्मी, आराध्या श्रीवास्तव, समृद्धि श्रेया, सुचित सिंह के प्रदर्शन दर्शकों के हृदय को छू लेने वाले थे। सूत्रधार स्वर: आदर्श वैभव, रवि प्रकाश, यामिनीरावण (स्वर): विशाल तिवारी संगीत, प्रकाश से लेकर वस्त्र-विन्यास तक अपना अदभुत प्रभाव छोड़ते दिखे। कथा के अनुसार भाव को स्पष्ट करते हुए वस्त्र विन्यास में परिवर्तन कथा के विभिन्न भावात्मक शेड्स को स्पष्ट करने वाले थे। नृत्य नाटीका तृण धरि ओट का निर्देशन एवं नृत्य संरचना कुशल कथक नृत्यांगना यामिनी ने किया। आलेख गुलरेज शहजाद और अमित प्रकाश की संगीत रचना नाटिका की मौलिकता को बनाए रखने में सफल दिखे।राजीव रॉय की प्रकाश व्यवस्था, नाटिका के दृश्यों को वास्तविकता प्रदान करने वाली थी। नाटिका के मंचन के उपरांत समीक्षात्मक वार्ता का आयोजन किया गया जिसमें राष्ट्रीय अंतराष्ट्रीय स्तर के साहित्यकार को आमंत्रित किया गया था। सभी ने अपने बहुमूल्य विचारों को प्रकट किया। समीक्षा वार्ता में राष्ट्रीय ख्याति के कवि और सेवा निवृत निदेशक दूरदर्शन केंद्र, पटना कृष्ण कल्पित, डॉ किशोर सिन्हा वरिष्ठ लेखक, नाटककार, बी के जैन गोल्डमेडलिस्ट छायाकार, नीलेश मिश्रा संगीत नाटक सम्मानित नाट्य अभिनेता एवं फिल्माकर जिया हसन ने अपने विचार रखे।