भारत और पाकिस्तान के बीच लगातार बढ़ते तनाव पर अमेरिका ने स्पष्ट रुख अपनाते हुए पाकिस्तान से आतंकवादी संगठनों को समर्थन देना तत्काल बंद करने को कहा है।
हाल ही में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से टेलीफोन पर बातचीत की। इस बातचीत में उन्होंने पाकिस्तान से कहा कि वह लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करे। अमेरिका का मानना है कि इन संगठनों को मिलने वाला समर्थन क्षेत्रीय शांति के लिए बड़ा खतरा है।
भारत की प्रतिक्रिया और अमेरिकी रुख
कुछ दिन पहले कश्मीर के पहलगाम में हुए हमले में 26 तीर्थयात्रियों की हत्या के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की थी। इस हमले की जिम्मेदारी उन आतंकी समूहों पर डाली गई जो पाकिस्तान से संचालित होते हैं।
भारत ने इन हमलों के बाद “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत कराची, लाहौर, पीओके और अन्य सैन्य ठिकानों को निशाना बनाकर जवाबी कार्रवाई की। भारत का कहना है कि वह किसी भी उकसावे का मुंहतोड़ जवाब देगा।
अमेरिका का दोहरा संकेत
हालांकि विदेश मंत्री का रुख सख्त रहा, वहीं अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने स्पष्ट कर दिया कि अमेरिका इस संघर्ष में सीधे हस्तक्षेप नहीं करेगा। उन्होंने कहा, “यह हमारा मामला नहीं है। हम क्षेत्रीय स्थिरता के पक्षधर हैं, लेकिन हम युद्ध में नहीं कूदेंगे।”
भारत का तीखा वार
भारत ने पाकिस्तान को “आतंकवाद की फैक्ट्री” करार देते हुए कहा है कि जब तक पाकिस्तान अपनी नीतियों में बदलाव नहीं करता, तब तक क्षेत्र में स्थायी शांति असंभव है। भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा, “पाकिस्तान को यह याद रखना चाहिए कि ओसामा बिन लादेन आखिर कहां पाया गया था।”
पाकिस्तान पर अमेरिका का बढ़ता दबाव एक संकेत है कि वैश्विक समुदाय अब आतंकवाद के प्रति लचीला रवैया अपनाने के मूड में नहीं है। भारत अपने रुख पर कायम है और पाकिस्तान को चेतावनी दी है कि वह आतंकवाद को समर्थन देना बंद करे वरना परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहे।