- पीयूषी मिश्रा, कथक छात्रा
नृत्य उल्लास है, नृत्य महाभाव है, नृत्य पैरों की थिरकन है, नृत्य दिलों की धड़कन है, नृत्य मन का अनुराग है और नृत्य समर्पित का द्वार है। नृत्य, एक कला है जो संगीत और शरीर की गति के माध्यम से भावनाओं और कहानियों को व्यक्त करने का एक शक्तिशाली माध्यम है, जिसकी विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं में अपनी जड़ें हैं। नृत्य की परंपरा अंत्यंत ही प्राचीन है। हड़प्पा सभ्यता में नृत्य करती हुई लड़की की मूर्ति मिली है जो उसे काल के नृत्य कला का प्रमाण है।
नृत्य में सांस्कृतिक विविधता भी नजर आती है। दुनिया में विभिन्न प्रकार के नृत्य हैं जिनमें शास्त्रीय नृत्य, लोक नृत्य, जनजातीय नृत्य और आधुनिक नृत्य शामिल हैं। भारत में भी कई प्रकार के नृत्य देखे जा सकते हैं। भारत में शास्त्रीय नृत्य की संख्या आठ है। कथक, भरतनाट्यम, ओडिसी, कथकली, मणिपुरी, कुचिपुड़ी, सत्रीय और मोहिनीअट्टम नृत्य भारत के शास्त्रीय नृत्य की सूचि में मौजूद हैं।
भारतीय शास्त्रीय नृत्यों में सबसे ज्यादा लोकप्रियता भरतनाट्यम एवं कथक नृत्य को प्राप्त है। बहुत सी ऐसी संस्कृतियां है जिनमें नृत्य का धार्मिक और अनुष्ठानिक महत्व है। इसके उदाहरण स्वरूप भारतीय संस्कृति में भगवान शिव को नटराज के रूप में भी पूजा जाता है।
आज के युग में, जब लोग एक दूसरे से मिलना जुलना ज्यादा पसंद नहीं करते हैं, आपसे दूरी बनाकर रहते हैं तब नृत्य सामाजिक संबंधों को मजबूत बनाने तथा लोगों को एक साथ लाने का एक माध्यम बन जाता है।
नृत्य का उपयोग कथा- कहानियों को बताने तथा भावनाओं को स्पष्ट रूप से व्यक्त करने के लिए किया जाता है ऐसे नृत्यों का उत्तम उदाहरण है कथक एवं कथकली। नृत्य संगीत का एक महत्वपूर्ण अंग है। सभी नृत्य में पृष्ठभूमि के रूप में कोई-न-कोई गीत एवं वाद्ययंत्र का स्थान जरूर होता है। इनके द्वारा नृत्य की गति, लय और भावना को व्यक्त किया जाता है।
नृत्य को केवल मनोरंजन मात्र मानना तो सही नहीं होगा क्योंकि यह शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत लाभदायक है, साथ ही यह सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों को भी बढ़ावा देता है। यहां तक की नृत्य शिक्षा का भी एक अहम अंग है। नृत्य रचनात्मकता को बढ़ावा देता है और लोगों को आत्मविश्वास से जीने में मदद करता है। नृत्य हमें आत्म-खोज की जगह पर कदम रखने की अनुमति प्रदान करता है।
(Piyushi Mishra, Kathak Student & Researcher of Indian Institute of Yoga and Dance Research center, Bihar and Disciple of Guru Yamini ) Reference: Nritya(Wikipedia), Nritya Nibandh by Dr. Puru Dadhicha and Dr. Vibha Dadhicha, Nritya Bitan by Anup Shankar Adhikari